Badal Raag MCQ बादल राग MCQ Class 12 Hindi Aroh Chapter 7
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'बादल राग'
सारांश
"बादल राग" कविता के कवि सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" जी है।
कवि निराला जी द्वारा विरचित "बादल राग" एक लंबी कविता है- जिसमें बादलों के उमड़ने-घुमड़ने एवं बरस पड़ने, उनकी उत्पत्ति, उनका लोक- कल्याणकारी स्वभाव आदि का मनोरम शब्द-चित्र अंकित हुआ है।प्रस्तुत कविता के संकलित अंश में कवि ने परोपकार हेतु आकार धारण करके अपने को मिटा देने वाले क्रांतिकारी बादलों से झूम-झूम कर अपने अमर रागलाप से पूरे आकाश को गुंजायमान कर देने का आह्वान किया है।
बादल स्वभाव से सृजनकर्ता प्राकृतिक तत्व है। इसके बिना प्रकृति जीवन के साथ-साथ जीव-चराचर सह मानव-जीवन का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। कवि ने बर्षा को हर्ष या खुशियाली का प्रतीक बताया है। बादल की भयंकरता प्रकृति जगत का मंगल विधान का प्रतीक है, जो संपूर्ण आकाश में व्याप्त है। यह एक प्रकार से भव्यता का संसाधन है। भयंकरता क्रांति का स्वरूप है, जिसमें जीवन की समरसता व्याप्त है।कवि बादलों के गर्जन को जीवन की आस्था एवं आवश्यक व्यवस्था मानता है, जिससे जीवनकाल संचालति होता है।
बादलों द्वारा प्रदत्त अमृत रस प्राकृतिक उपादानों का द्योतक है।प्रृथ्वी के समस्त क्षेत्रों में वर्षा का बरसना निष्पक्ष एवं प्रकृति प्रेम का प्रतीक है, जहांँ कोई भेदभाव नहीं है। कवि इस वितरण व्यवस्था में एकरूपता देखता है और जनमानस को इससे परिचित कराना चाहता है। निराला जी के व्यक्तित्व की यही विशेषता है। इनमें क्रांति के भाव सर्वत्र एक- सा दृष्टिगत होते हैं।
भूमि प्लावन की प्रक्रिया में वर्षा का जल सुधा रस के समान एवं अद्वितीय है।जमीन के धंँसने से जलस्राव की मात्रा बढ़ने लगी हैं। चारों तरफ प्रसन्नता का वातावरण विद्यमान है। सभी के सभी प्रसन्नता से बेचैन से है कि वे खुशियां मनाएं।इस प्रकार प्रकृति प्रदत्त जीवन की समरसता समस्त समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
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