छोटा मेरा खेत
उमाशंकर जोशी
(गुजराती कवि)
 उमाशंकर जोशी बीसवीं सदी के गुजराती के मूर्धन्य कवि संस्कृत वाङ्मय के विद्वान हैं।उन्होंने गुजराती कविता को प्रकृति से जोड़ा।आम आदमी के जीवन की झलक उनकी रचनाओं में मिलती है।
छोटा मेरा खेत
सार
खेती के रूपक द्वारा काव्य रचना– प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया हे।काव्य कृति की रचना बीज– वपन से लेकर पौधे के पुष्पित होने के विभिन्न चरणों से गुजरती है।अंतर केवल इतना है कि कवि कर्म की फसल कालजयी, शाश्वत होती है।उसका रस-क्षरण अक्षय होता है।कागज का पन्ना, जिस पर रचना शब्दबद्ध होती है, कवि को एक चौकोर खेत की तरह लगता है। इस खेत में किसी अँधड़ (आशय भावनात्मक आँधी से होगा) के प्रभाव से किसी क्षण एक बीज बोया जाता है। यह बीज-रचना विचार और अभिव्यक्ति का हो सकता है। यह मूल रूप कल्पना का सहारा लेकर विकसित होता है और प्रक्रिया में स्वयं विगलित हो जाता है। उससे शब्दों के अंकुर निकलते हैं और अंततः कृति एक पूर्ण स्वरूप ग्रहण करती है, जो कृषि-कर्म के लिहाज से पल्लवित -पुष्पित होने की स्थिति है। साहित्यिक कृति से जो अलौकिक रस-धारा फूटती है, वह क्षण में होने वाली रोपाई का ही परिणाम है पर यह रस-धारा अनंत काल तक चलने वाली कटाई है |
बगुलों के पंख
सार
बगुलों के पंख कविता एक चाक्षुष बिंब  की कविता है। सौंदर्य का अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न करने के लिए कवियों ने कई युक्तियाँ अपनाई हैं, जिसमें से सबसे प्रचलित युक्ति है-सौंदर्य के व्यौरों के चित्रात्मक वर्णन के साथ अपने मन पर पड़ने वाले उसके प्रभाव का वर्णन और आत्मगत के संयोग की यह युक्ति पाठक को उस मूल सौंदर्य के काफी निकट ले जाती है। जोशी जी की इस कविता में ऐसा ही है। कवि काले बादलों से भरे आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते सफेद बगुलों को देखता है। वे कजरारे बादलों में अटका-सा रह जाता है। वह इस माया से अपने को बचाने की गुहार लगाता हैं। क्या यह सौंदर्य से बाँधने और विंधने की चरम स्थिति को व्यक्त करने का एक तरीका है।
 प्रकृति का स्वतंत्र (आलंबन गत ) चित्रण  आधुनिक कविता की विशेषता है।चित्रात्मक वर्णन द्वारा कवि ने एक ओर काले बादलों पर उड़ती बगुलों की श्वेत पंक्ति का चित्र अंकित किया है तो दूसरी ओर इस अप्रतिम दृश्य के हृदय पर पड़ने वाले प्रभाव को चित्रित किया है।मंत्र मुग्ध कवि इस दृश्य के प्रभाव से आत्म विस्मृति की स्थिति तक पहुँच जाता है।विषय एवं विषयीगत सौन्दर्य के दोनों रूप कविता में उद्घाटित हुए हैं।
अर्थ-ग्रहण-संबंधी प्रश्न
“छोटा मेरा खेत चौकोना
कागज़ का एक पन्ना ,कोई अंधड़ कहीं से आया
क्षण का बीज वहाँ बोया गया|
कल्पना के रसायनों  को पी
बीज गल गया नि:शेष ;शब्द के अंकुर फूटे ,
पल्लव –पुष्पों से नमित हुआ विशेष |”
प्रश्न १‘छोटा मेरा खेत’ किसका प्रतीक है और क्यों?
उत्तर :- प्रश्न२  ‘छोटा मेरा खेत’ काग़ज के उस पन्ने का प्रतीक है जिस पर कवि अपनी कविता लिखता है।
प्रश्न २ कवि खेत में कौन–सा बीज बोता है?
 उत्तर :- कवि खेत में अपनी कल्पना का बीज बोता है?
प्रश्न ३ कवि की कल्पना से कौन से पल्लव  अंकुरित होते हैं ?
उत्तर :- कवि की कल्पना से शब्द के पल्लव अंकुरित होते हैं?
प्रश्न ४ उपर्युक्त पद का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए |
उत्तर :- खेती के रूपक द्वारा काव्य-रचनाप्रक्रिया को स्पष्ट किया गया हे।काव्य कृति की रचना बीज– वपन से लेकर पौधे के पुष्पित होने के विभिन्न चरणों से गुजरती है।अंतर केवल इतना है कि कवि कर्म की फसल कालजयी, शाश्वत होती है।उसका रस-क्षरण अक्षय होता है।
सौंदर्य-बोध-संबंधी प्रश्न
“झूमने लगे फल,
रस अलौकिक ,
अमृत धाराएँ फूटतीं
रोपाई क्षण की ,
कटाई अनंतता की
लुटते रहने से जरा भी कम नहीं होती |
रस का अक्षय पात्र सदा का
छोटा मेरा खेत चौकोना |”
प्रश्न इस कविता की भाषा संबंधी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए –
उत्तर ;- १ प्रतीकात्मकता
       २ लाक्षणिकता -
       २रूपक अलंकार–             रस का अक्षय पात्र सदा का
                        छोटा मेरा खेत चौकोना।

प्रश्न २ रस अलौकिक, अमृत धाराएँ, रोपाई – कटाई-प्रतीकों के अर्थ स्पष्ट कीजिए |
उत्तर :-      रस अलौकिक – काव्य रस निष्पत्ति
             अमृत धाराएँ- काव्यानंद
              रोपाई – अनुभूति को शब्दबद्ध  करना
               कटाई –रसास्वादन     
विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर
कविता 
छोटा मेरा खेत
प्रश्न १ उमाशंकर जोशी ने किस भाषा में कविताएँ लिखी हैं?
 उत्तर :- गुजराती भाषा
प्रश्न२ कृषि–कर्म एवं कवि–कर्म में क्या क्या समानताएँ हैं?
उत्तर :- कृषि–कर्म एवं कवि–कर्म में निम्नलिखित समानताएँ हैं-
काव्य कृति की रचना बीज– वपन से लेकर पौधे के पुष्पित होने के विभिन्न चरणों से गुजरती है।
कृषिकर्म एवं कविकर्म में समानताएँ :-
  • कागज का पन्ना, जिस पर रचना शब्दबद्ध होती है, कवि को एक चौकोर खेतलगता है।
  • इस खेत में किसी अँधड़ (आशय भावनात्मक आँधी से होगा) के प्रभाव से किसी क्षण एक बीज बोया जाता है। यह बीज-रचना विचार और अभिव्यक्ति का हो सकता है।
  • यह मूल रूप कल्पना का सहारा लेकर विकसित होता है और प्रक्रिया में स्वयं विगलित हो जाता है। इसीप्रकार बीज भी खाद, पानी, सूर्य की रोशनी ,हवा आदि लेकर विकसित होता है | 
  • काव्य –रचना से  शब्दों के अंकुर निकलते हैं और अंततः कृति एक पूर्ण स्वरूप ग्रहण करती है, जो कृषि-कर्म के लिहाज से पल्लवित –पुष्पित और फलित होने की स्थिति है।
अर्थ-ग्रहण-संबंधी प्रश्न
कविताबगुलों के पंख
नभ में पाँती- बँधे बगुलों के  पंख ,
चुराए लिए जातीं वे मेरी आँखें |
कजरारे बादलों की छाई नभ छाया ,
हौले–हौले जाती मुझे बाँध  निज माया से |
उसे कोई तनिक रोक रक्खो |
वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें
                           नभ में पाँती- बँधी बगुलों  की पाँखें |
तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया|
प्रश्न१:- इस कविता में कवि ने किसका चित्रण किया है ?
उत्तर :- कवि ने काले बादलों पर उड़ती बगुलों की श्वेत पंक्ति का चित्रण किया है|
प्रश्न२:- आँखें चुराने का क्या अर्थ है ?
उत्तर :- आँखें चुराने का आशय है –ध्यान पूरी तरह खींच लेना ,एकटक देखना ,मंत्रमुग्ध कर देना
प्रश्न३:-
“कजरारे बादलों की छाई नभ छाया ,
हौले –हौले जाती मुझे बाँध  निज माया से |”- आशय स्पष्ट कीजिए |
उत्तर:- काले बादलों के बीच साँझ का सुरमई वातावरण बहुत सुंदर दिखता है | ऐसा अप्रतिम सौंदर्य अपने आकर्षण में कवि को बाँध लेता है |
प्रश्न ४  “उसे कोई तनिक रोक रक्खो |’- से कवि का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :- बगुलों की पंक्ति आकाश में दूर तक उड़ती जा रही है कवि की मंत्रमुग्ध आँखें उनका पीछा कर रही हैं |कवि उन बगुलों को रोक कर  रखने की गुहार लगा रहा है कि कहीं वे उसकी आँखें ही अपने साथ न ले जाएँ|
सौंदर्य-बोध-संबंधी प्रश्न
प्रश्न १ कविता की भाषा संबंधी दो विशेषताएँ लिखिए|
उत्तर :-१ चित्रात्मक भाषा
      २ बोलचाल के शब्दों का प्रयोग - हौले –हौले, पाँती, कजरारे,साँझ
प्रश्न २ कविता में प्रयुक्त अलंकार चुन कर लिखिए |
उत्तर :- अनुप्रास अलंकार -  बँधे बगुलों के  पंख ,
मानवीकरण अलंकार - चुराए लिए जातीं वे मेरी आँखें |
प्रश्न ३ :-‘ निज माया’ के लाक्षणिक अर्थ को स्पष्ट कीजिए |
उत्तर :- प्रकृति का अप्रतिम सौंदर्य  वह माया है जो कवि को आत्मविभोर कर देती है।यह पंक्ति भी प्रशंसात्मक उक्ति है।
विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर
प्रश्न१:-      ‘चुराए लिए जाती वे मेरी ऑंखें’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर :-चित्रात्मक वर्णन द्वारा कवि ने एक ओर काले बादलों पर उड़ती बगुलों की श्वेत पंक्ति का चित्र अंकित किया है तथा  इस अप्रतिम दृश्य के हृदय पर पड़ने वाले प्रभाव को चित्रित किया है। कवि के अनुसार यह दृश्य उनकी आँखें चुराए लिए जा रहा है |मंत्र मुग्ध कवि इस दृश्य के प्रभाव से आत्म विस्मृति की स्थिति तक पहुँच जाता है।
प्रश्न२:-कवि किस माया से बचने की बात कहता है?

उत्तर :-  माया विश्व को अपने आकर्षण में बाँध लेने के लिए प्रसिद्ध है | कबीर ने भी ‘माया महा ठगिनी हम जानी’ कहकर माया की शक्ति को प्रतिपादित किया है | काले बादलों में बगुलों की सुंदरता अपना माया जाल फैला कर कवि को अपने वश में कर रही है |