Thursday, November 12, 2020

Jhoojh MCQ जूझ MCQ Class 12 Vitan Chapter 2

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जूझ आनंद यादव
Jujh Anand Yadav


जूझ पाठ का सार jujh class 12 summary jujh anand yadav - जूझ मराठी के प्रख्यात रचनाकार डॉ.आनंद यादव का बहुचर्चित एवं बहुप्रशंसित आत्मकथात्मक उपन्यास का एक अंश है .एक किशोर के देखे और भोगे हुए गँवई यथार्थ और उसके रंगारंग परिवेश की अत्यंत विश्वसनीय जीवन गाथा है .

लेखक के पिता ने उसे पाठशाला जाने से रोक रखा है . उसके पिता सारा दिन गाँव में घूमते रहते और रखमा बाई के कोठे पर भी जाया करते थे .स्वयं काम न करके लेखक को खेती के काम में लगा दिया था .लेखक पढना चाहता था .उसे लगता था कि खेती से कोई लाभ नहीं ,बल्कि पढने से उसे नौकरी मिल जायेगी या कुछ व्यापार
जूझ
जूझ
कर सकेगा .दिवाली बीत जाने पर महिना भर ईख पेरने के लिए कोल्हू चलाना क्योंकि लेखक के पिता को गुड़ की अच्छी कीमत मिल जायेगी .एक दिन लेखक ने अपनी माँ से पाठशाला जाने की इच्छा प्रकट की .माँ भी चाहती थी कि वह पाठशाला जाए ,लेकिन पिता के गुस्से के कारण वह भी चुप थी .लेखक ने एक तरीका बताया कि यदि दत्ता राव साहब ,पिता जी को समझाएं तो बात बन सकती है .दत्ता राव साहब ,इलाके के प्रभावशाली व्यक्ति थे .उनके सामने लेखक जाकर और उसकी माँ ने बताई और राव साहब स्वयं समझदार व्यक्ति थे और शिक्षा प्रेमी थे .उन्होंने लेखक के पिता को डरा -धमका कर समझाया कि बेटे को पाठशाला भेजो ,यदि तुम पाठशाला भेजने में असमर्थ हो ,तो स्वयं आनंदा को पाठशाला भेजेंगे .इस प्रकार लेखक का पाठशाला में पुनः जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ .

लेखक दूसरे दिन पिता जी की कड़ी शर्तों के अनुसार विद्यालय गया .कक्षा में सभी लड़के उसके लिए नए थे .कक्षा के शरारती बच्चों ने उसका उपहास किया ,लड़कों ने उसकी धोती खोलने की कोशिश की .कक्षा में उसकी दोस्ती वसंत पाटिल नाम के होशियार बच्चे से हुई .वह गणित में तेज़ था ,लेखक भी उसकी तरह पढने की कोशिश करने लगा .मास्टर उसे अनन्दा कहकर बुलाने लगे .
मराठी भाषा के अध्यापक न.पा.सौंदलगेकर से लेखक बहुत प्रभावित हुआ . पढ़ाते समय अध्यापक स्वयं रम जाते थे .सुरीले कंठ ,छंद और रसिकता के कारण लेखक उनसे प्रभावित हुआ .लेखक भी घर जाकर ,मास्टर साहब की तरह कविताएँ रचने लगा .अब लेखक का अकेलापन समाप्त हुआ .अब वह खेत में पानी लगाते हुए जानवर को चराते हुए कविता रचने लगा .वह अपने आस - पास के लोगों ,अपने गाँव ,खेतों पर तुकबंदी करने लगा .वह अपनी लिखी हुई कविता मास्टर साहब को दिखाने लगता .मास्टर साहब ने ही उसे छंद ,अलंकार ,लय का ज्ञान कराया .साथ से अन्य कवियों के काव्यसंग्रह भी दिया ,जिसे पढ़कर लेखक ने कविता की समझ विकसित की .

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