Friday, November 13, 2020

Ateet Mein Dabe Paon MCQ अतीत में दबे पाँव MCQ Class 12 Vitan Chapter 3

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Ateet Mein Dabe Paon Om Thanvi


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अतीत में दबे पाँव
अतीत में दबे पाँव
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अतीत में दबे पाँव लेखक अतीत के दबे पाँव के लेखक अतीत में दबे पांव के लेखक - अतीत में दबे पाँव ओम थानवी जी द्वारा लिखा गया एक यात्रा वित्रांत है .इतिहास हमें दिशा दे सकता है तो ऐतिहासिक नगर सभ्यता के विकास को दिशा दे सकते हैं . इसी सन्दर्भ में यह रचना ओम थानवी की यात्रा वृतांत और रिपोर्ट का मिला - जुला रूप है ,जो अब तक के ज्ञान में भारतीय भूमि ही नहीं विश्व फलक पर घटित सभ्यता की सबसे प्राचीन घटना को उठने ही सुनियोजित ढंग से पुनर्जीवित करता है ,जितने सुनियोजित ढंग से उसके दो महान नगर मोहनजोदड़ो और हड़प्पा बसे थे .लेखक ने टीलों ,स्नानागार ,मृद्भांड ,कुँवों - तालाबों ,महानों व मार्गों से प्राप्त पुरातत्व में मानव - संस्कृति की उस समझदार - भावनात्मक घटना को बड़े इत्मीनान से खोज - खोज कर हमें दिखलाया हैं ,जिससे हम इतिहास की सपाट वर्णात्मक से ग्रस्त होने की जगह इतिहास बोध से तर होते हैं . सिन्धु सभ्यता के सबसे बड़े शहर मोहनजोदड़ो की नगर योजना अभिभूत करती है .वह आज के सेक्टर मार्का कॉलोनी के नीरस नियोजन की अपेक्षा ज्यादा रचनात्मक थी ,क्योंकि उसकी बसावट शहर के खुद विकसने का अवकाश भी छोड़ कर चलती थी .पुरातत्व के निष्प्राण पड़े चिन्हों से के एक ज़माने में ,आबाद घरो ,लोगों और उनकी सामाजिक - धार्मिक - राजनितिक व आर्थिक गतिविधियों का पुख्ता अनुमान किया जा सकता है .वह सभ्यता ताकत के बल पर शासित होने की जगह आपसी समझ से अनुशासित थी .उसमें भव्यता थी ,पर आडम्बर नहीं था . उसकी खूबी उसका सौन्दर्यबोध था ,जो राजपोषित या धर्मपोषित न होकर समाज पोषित था .अतीत की ऐसी कहानियों के स्मारक चिन्हों का आधुनिक व्यवस्था के विकास - अभियानों की भेंट चढ़ते जाना भी लेखक को कचोटता है .




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