आज हम अध्ययनचर्चा में ले रहे हैं, पूरक पुस्तक ‘वितान’ से मनोहर श्याम जोशी की कहानी ‘सिल्वर वैडिंग’ पर आधारित सारांश।
आपको जोशी जी के बारे में कुछ दिलचस्प बातें पहले बतादें-
क्या आपने ’बुनियाद’ ’कक्काजी कहिन’, ’मुंगेरी लाल के हसीन सपने’, ’हम लोग’ ‘हमराही’ ‘ज़मीन आसमान’ और गाथा आदि टीवी सीरियलों का नाम सुना है?
इन सभी विख्यात धारावाहिकों के पटकथा लेखक मनोहर श्याम जोशी जी ही थे। उन्होंने फिल्मों के लिये भी पटकथा लेखन किया- ‘हे राम’ ‘पापा कहते हैं’ ‘अप्पू राजा’ और ‘भ्रष्टाचार’ उनकी लिखी हुई फिल्में हैं। यह विख्यात कहानीकार मनोहर श्याम जोशी की एक लंबी कहानी है। आधुनिकता की ओर बढ़ने वाला यह समाज एक तरफ तो अनेक नयी उपलब्धियों को ग्रहण करता जा रहा है, परंतु दूसरी तरफ यह हाल है कि मनुष्यता के मूल्यों में चिंतनीय गिरावट आ रही है।
जो हुआ होगा और समहाउ इंप्रापर ये दो जुमले ही कहानी का असली मर्म हैं। बीज वाक्य हैं। जो हुआ होगा में जड़ता का भाव है। यानी कि ज्यों का त्यों स्वीकार कर लेने की प्रवृत्ति। कोई जिज्ञासा नहीं। कोइ्र्र उत्कंठा नहीं। कोई लगाव भी नहीं। एक तरह की निरपेक्षता।
समहाउ इंप्रापर में असमंजस और फैसला न कर पाने की विवशता वाला भाव अभिव्यक्त होता है। और यही दो चीजें इस कहानी के प्रधान चरित्र यशोधर बाबू के अंदर चलने वाले द्वंद्व को प्रकट करती हैं। इन्हीं के चलते उनके जीवन में परिवर्तन असंभव हो जाता है। एक तरह का ठहराव आ जाता है। यशोधर बाबू अपने आप को बदल नहीं पाते। यशोधर बाबू अपने बच्चों की तरक्की से प्रसन्न तो होते हैं, परंतु वह इन्हें समहाउ इंप्रापर भी लगती है। वे ऐसी खुशहाली से सहमत नहीं हो पाते, जो अपनों के बीच में ही परायापन पैदा कर देती हो। इसी ताने-बाने पर बुनी गयी है यह कहानी। तो यह था मनोहर श्याम जोशी की कहानी ‘सिल्वर वैडिंग’ का सारांश।
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