Nana Sahab ki Putri devi Maina MCQ नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया MCQ Class 9 Hindi Kshitij Chapter 5
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नाना साहब की पुत्री मैना को भस्म कर दिया गया पाठ का सारांश
नाना साहब की पुत्री मैना को भस्म कर दिया गया पाठ लेखिका चपला देवी के द्वारा लिखित एक 'रिपोर्ताज' है | सन् 1857 की क्रांति के विद्रोही नेता "धुंधूपंत नाना साहब" की पुत्री बालिका मैना आज़ादी की नन्हीं सिपाही थी, जो अंग्रेजों के हाथों जला दी गई थी |
जब 1857 ई. की क्रांति के दौरान कानपुर में नाना साहब असफल होने के पश्चात् भाग खड़े हुए, तो जल्दी में अपनी पुत्री मैना को साथ न ले जा सके |अंग्रेज कानपूर में विद्रोह को कुचलने के बाद बिठूर में नाना साहब के महल में जा पहुँचे और सारा राजमहल लूट लिया | तत्पश्चात्, अंग्रेजों ने तोप से नाना साहब का महल जलाकर राख कर देने का निश्चय किया | जब अंग्रेज़ों ने नाना साहब के महल को उड़ाने के लिए तोपें सामने रखीं, तो उसी समय अचानक महल के बरामदे में एक बहुत सुन्दर बालिका आ जाती है | बालिका को देख सेनापति को आश्चर्य होता है, क्योंकि जब महल को लूटा जा रहा था, तब बालिका वहाँ कहीं दिखाई नहीं दी थी |
नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया
नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया
बालिका सेनापति को गोले बरसाने से मना करती है | बालिका का करूणामय चेहरा देखकर सेनापति को उस पर दया आ गई | जब सेनापति ने उससे पूछा कि तुम क्या चाहती हो ? तभी बालिका ने जवाब दिया कि क्या आप मुझपर कृपा करके इस महल की रक्षा करेंगे ? इसपर सेनापति ने बालिका से पूछा कि तुम्हारा क्या उद्देश्य है ? तभी बालिका भी सेनापति से पूछती है कि मकान गिराने में आपका क्या उद्देश्य है | तत्पश्चात्, सेनापति ने जवाब में बोला --- " यह मकान विद्रोहियों के नेता नाना साहब का है | सरकार ने इसे गिरा देने का आदेश दिया है...|" इस पर बालिका ने सेनापति से कहा कि जो दोषी है, आपको उसे सजा देना चाहिए | इस निर्जिव मकान का कोई कसूर नहीं, मुझे यह मकान बहुत प्रिय है, मैं आप से विनती करती हूँ कि इस मकान की रक्षा कीजिए |
तत्पश्चात्, वह बालिका सेनापति से विनम्र स्वभाव में कहती है कि मैं आपकी पुत्री 'मेरी' की सहेली हूँ |बालिका की बात सुनते ही सेनापति को ज्ञात हुआ कि वह नाना साहेब की पुत्री है | बालिका के द्वारा परिचय देने पर सेनापति 'हे' ने उसे पहचान लिया | परन्तु, सेनापति ने कहा कि वह सरकारी नौकर है और सरकार की आज्ञा को नहीं टाल सकता |
तभी 'जनरल अउटरम' वहाँ आ पहुँचे और गुस्सा होकर बोले --- " अबतक महल को क्यूँ नहीं उड़ाया गया ?" सेनापति 'हे' ने महल और मैना को छोड़ने का अनुरोध किए, परन्तु अउटरम ने उसे अस्वीकार कर दिया, जिससे दुखी होकर सेनापति 'हे' वहाँ से चले गए | तत्पश्चात्, अउटरम ने महल को चारों तरफ से घेर लिया | सिपाही महल का फाटक तोड़कर अंदर चले गए और बालिका मैना को तलाशने लगे, पर आश्चर्य है कि मैना सिपाहियों के हाथ न लगी | शाम में गवर्नर जनरल लार्ड केनिंग का तार आया, जिसके अनुसार नाना साहब के स्मृति चिन्ह तक मिटा देने की बात कही गई थी |लगभग घंटे भर में महल को खाक में मिला दिया गया |
उस समय लंदन के एक प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित अख़बार 'टाइम्स' ने छ सितम्बर को नाना साहब के बारे में ख़बर छापी कि --- " बड़े दुःख का विषय है, भारत सरकार अभी तक अंग्रेज़ों के हत्याकांड के दोषी नाना साहब को नहीं पकड़ सकी है |" उस दिन पार्लियामेंट हाउस में सेनापति 'हे' के उस रिपोर्ट पर उपहास किया गया, जिसमें उसने बालिका के लिए क्षमा-याचना की मांग की थी | अंग्रेज़ों ने नाना साहब के सगे-संबंधी को मार डालने का आदेश दे दिया था |
सन् 1857 सितम्बर मास में अर्द्ध रात्रि के चाँदनी में एक बालिका सादा स्वच्छ वस्त्र पहनकर अपने महल के अवशेषों पर बैठकर रो रही थी | जब जनरल अउटरम वहाँ पहुँचते हैं, तो उसे पहचान कर कहते हैं --- " ये तो नाना साहब की लड़की मैना है...|" तत्पश्चात्, जनरल अउटरम के सैनिक बालिका को चारों ओर से घेरकर गिरफ्तार कर लेते हैं | बाद में उसे कानपूर के किले में कैद कर दिया जाता है | उस समय महाराष्ट्रीय इतिहासवेत्ता महादेव चिटनवीस के 'बाखर' पत्र में छपा था कि --- " कल कानपुर के किले में एक भीषण हत्याकांड हो गया | नाना साहब की इकलौती पुत्री मैना धधकती हुई आग में जलाकर भस्म कर दी गई | भीषण अग्नि में शांत और सरल मूर्ति उस अनुपमा बालिका को जलती देख, सबने उसे देवी समझ कर प्रणाम किया...|" इस तरह लोगों ने उसे सच्ची श्रद्धांजलि दिया.
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