Monday, November 16, 2020

Camere Mein Band Apahij MCQ कैमरे में बंद अपाहिज MCQ Class 12 Hindi Aroh Chapter 4

Camere Mein Band Apahij MCQ कैमरे में बंद अपाहिज MCQ Class 12 Hindi Aroh Chapter 4

Attempt the quiz Here :

https://quizizz.com/join/quiz/5fb11a6da41e16001e5af79c/start
https://quizizz.com/join/quiz/5fb11ae4a41e16001e5af7e9/start



कैमरे मे बन्द अपाहिज   by रघुवीर सहाय camere me band apahij कैमरे में बंद अपाहिज कविता camere me band apahij summary Camera me band apahij class 12 cbse with full explanation NCERT Solutions for Class 12 Hindi Core - 

हम दूरदर्शन पर बोलेंगे
हम समर्थ शक्तिवान
हम एक दुर्बल को लाएंगे
एक बंद कमरे में
उससे पूछेंगे तो आप क्या आपाहिज हैं ?
तो आप क्यों अपाहिज हैं ?
आपका अपाहिजपन तो दुख देता होगा
देता है ?
(कैमरा दिखाओ इसे बड़ा बड़ा)
हां तो बताइए आपका दुख क्या है 
जल्दी बताइए वह दुख बताइए
बता नहीं पाएगा

व्याख्या - प्रस्तुत कविता में कवि रघुवीर सहाय जी ने जी ने दूरदर्शन के लोगों की मानसिकता का वर्णन किया है .मीडिया वाले अकेले बंद कमरे में एक कमज़ोर व्यक्ति को बुलाएँगे और उससे प्रश्न पूछेंगे .आप अपाहिज है तो आप अपाहिज क्यों हैं ? आपका अपाहिजपण आपको दुःख देता है कि नहीं . आप अपना दुःख बताएं .इसी बीच प्रश्नकर्ता अपने कैमरामैन को निर्देश देता है कि वह कमज़ोर व्यक्ति पर कैमरा बड़ा - करके दिखाए .इसके बाद उससे प्रश्नकर्ता पूछता है कि आप अपना कष्ट जल्दी बताओ .बहुत जोर देने पर भी अपाहिज व्यक्ति अपना दुःख प्रकट नहीं कर पाया .

२.सोचिए
बताइए
आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है
कैसा
यानी कैसा लगता है 
(हम खुद इशारे से बताएंगे कि क्या ऐसा ?)
सोचिए
बताइए
थोड़ी कोशिश करिए
(यह अवसर खो देंगे ?)
आप जानते हैं कि कार्यक्रम रोचक बनाने के वास्ते
हम पूछ-पूछ उसको रुला देंगे
इंतजार करते हैं आप भी उसके रो पड़ने का
करते हैं ?

व्याख्या - कवि मीडियाकर्मियों के व्यव्सस्यिक की बात कहता है कि प्रश्नकर्ता अपाहिज व्यक्ति से सवाल करता है कि आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है .अपाहिज व्यक्ति तुरंत उत्तर देने की स्थिति में नहीं होता ,तो प्रश्नकरता स्वयं ही इशारे द्वारा उत्तर देने का पर्यंत करता है .वह अपाहिज व्यक्ति पर दबाव डालता है कि सोच कर बताईये कि आपको अपाहिज होना कैसा लगता है ,यदि आप तुरंत नहीं बताएँगे तो आप सुनहला मौका खो देंगे .मीडिया अपने कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए सारे प्रश्न करता है कि हम इतने बेतुके प्रश्न पूछेंगे कि अपाहिज व्यक्ति रोने लगेगा और दर्शक भी चाहता है कि अपाहिज व्यक्ति रोने लगे.इसी स्थिति में अपाहिज वाले प्रश्न दर्शकों से नहीं पूछा जाएगा क्योंकि दर्शक ही वास्तविक अपाहिज है .

३. फिर हम परदे पर दिखलाएंगे
फूली हुई आंख की एक बड़ी तसवीर
बहुत बड़ी तसवीर
और उसके होंठों पर एक कसमसाहट भी
(आशा है आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे)
एक और कोशिश
दर्शक 
धीरज रखिए
देखिए
हमें दोनों एक संग रुलाने हैं
आप और वह दोनों
(कैमरा
बस करो
नहीं हुआ
रहने दो
परदे पर वक्त की कीमत है)
अब मुसकुराएंगे हम
आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम
(बस थोड़ी ही कसर रह गई)
धन्यवाद ।

व्याख्या - मीडिया आज इतना व्यावसायिक हो गया है कि अपने लाभ के लिए कमज़ोर व्यक्ति का शोषण करता है कि वह अपाहिज व्यक्ति की फूली हुई आँखें की तस्वीर को बड़ा करेगा और कमज़ोर व्यक्ति की होंठों की कसमसाहट भी दिखाया जाएगा .वह प्रश्नकर्ता दर्शकों को धैर्य रखने के लिए कहता है क्योंकि उसका उद्देश्य दर्शकों और अपाहिज व्यक्ति को तयशुदा समय में अपनी पीड़ा कमज़ोर व्यक्ति व्यक्त नहीं कर पाया तो कोई बात नहीं क्योंकि परदे पर वक्त की कीमत है .इन्टरव्यू समाप्त होते ही सभी मीडिया कर्मी मुस्कराते है और दर्शकों को सामाजिक उद्देश्य से भरपूर कार्यक्रम देखने के लिए धन्यवाद देते हैं .बस एक ही कमी रह गयी होगी कि दर्शक अपाहिज व्यक्ति के साथ रो नहीं पाए .अपने इस सामाजिक उद्देश्य का कार्यक्रम देखा इसके लिए धन्यवाद.

कैमरे मे बन्द अपाहिज by रघुवीर सहाय camere me band apahij कैमरे में बंद अपाहिज कविता का मूल /केन्द्रीय भाव - 

कैमरे में बंद अपाहिज रघुवीर सहाय जी की प्रसिद्ध कविता है .इस कविता में आपने समाज की विडम्बना को चित्रित किया है .शारीरिक चुनौती को झेलते हुए व्यक्ति से टेलीविजन - कैमरे के सामने किस तरह के सवाल पूछे जायंगे और कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए उससे कैसी भंगिमा की अपेक्षा की जायेगी - इसका लगभग सपाट तरीके से बयान करते हुए कवि ने एक तरह से पीड़ा के साथ दृश - संचार - माध्यम के सम्बन्ध को रेखांकित किया है .किसी की पीड़ा को बहुत बड़े दर्शक वर्ग तक पहुँचाने वाले व्यक्ति को उस पीड़ा के प्रति स्वयं संवेदनशील होने और दूसरा को परदे को संवेदनशील बनाने का दावेदार होना चाहिए .लेकिन विडम्बना यह है कि आप जब पीड़ा को परदे पर उभारने का प्रयास करते हैं ,तब कारोबारी दबाव के तहत आपका रवेय्या संवेदनशील हो जाता है .सहाय जी की यह कविता टेलीविजन स्टूडियो के भीतर की दुनिया को उभारती है ,लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि सिर्फ टेलीविजन माध्यम से जोड़कर देखा जाए. अपनी व्यंजन में यह कविता हर ऐसे व्यक्ति की ओर इशारा करती है ,जो दुःख - दर्द यातना वेदना को बेचना चाहता है . 
इस कविता को शारीरिक चुनौती झेलने लोगों के प्रति संवेदनशील नज़रियाँ अपनाने के लिए प्रेरित करते पाठ के रूप में देखा जा सकता है .इसके लिए कवि ने धुर संवेदनहीनता को रेखांकित करने का तरीका अपनाया है .वह दिखलाता है कि किस तरह करुणा जगाने के मकसद से शुरू हुआ कार्यक्रम क्रूर बन गया है .

Amazing Quotes Stories Watch awesome videos

No comments:

Post a Comment

MCQ Formal Letter Letter to Editor Class 10th 11th 12th Term-1 || Formal Letter format

MCQ Formal Letter Letter to Editor Class 10th 11th 12th Term-1 || Formal  Letter format  1] A Formal Letter Should Be _________ To Have The ...