Monday, November 16, 2020

Ehi Thaiyan Jhulni Herani Ho Rama MCQ एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा MCQ Class 10 Kritika Chapter 4

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MCQ Questions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा! with Answers

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एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा !


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एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा पाठ का सार

एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा ! पाठ के लेखक शिवप्रसाद मिश्र 'रुद्र' हैं | प्रस्तुत पाठ के माध्यम से लेखक ने गाने-बजाने वाले समाज का, देश के प्रति असीम प्रेम, विदेशी शासन के प्रति व्याकुलता और परतंत्रता की बेड़ियों को उतार फेंकने की तीव्र इच्छा का वर्णन किया है | पाठ में गौनहारिन की भूमिका में दुलारी और किशोरावस्था के दौर से गुजर रहे टुन्नू के दरम्यान आत्मीय प्रेम की सुगबुगाहट देखने को मिलती है | बीच-बीच में गीत के सुन्दर बोल या पंक्तियों का समावेश भी किया गया है | जैसे --- 

          " रनियाँ ल परमेसरी लोट !
दरगोड़े से घेवर बुँदिया ,
दे माथे मोती क बिंदिया ,
अउर किनारी में सारी के ,
           टाँक सोनहली गोट! रनियाँ...!"

दुलारी नाच-गाने का पेशा करने वाली स्त्री थी | वह दुक्कड़ नामक बाजे पर गीत गाने के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध थी | उसके कजली गायन का सब लोग सम्मान करते थे | दुलारी का शरीर पहलवानों की तरह कसरती था |  वह महाराष्ट्रियन महिलाओं की तरह धोती लपेटकर कसरत करने के बाद प्याज और हरी मिर्च के साथ चने खाती थी | गाने में ही सवाल-जवाब करने में वह बहुत कुशल थी | 

एक दिन खोजवाँ दल की तरफ़ से गीतों में सवाल-जवाब करते हुए दुलारी की मुलाकात टुन्नू नाम के एक ब्राह्मण
लड़के से हुई थी | बजरडीहा वालों की तरफ़ से मधुर कंठ में टुन्नू ने उसके साथ पहली बार सवाल-जवाब किया
था | मुकाबले में टुन्नू के मुँह से दुलारी की तारीफ़ सुनकर फेंकू सरदार ने टुन्नू पर लाठी से वार किया था | दुलारी ने ही टुन्नू को लाठी के उस वार से बचाया था | दुलारी के दिल में उस वक़्त पहली बार टुन्नू के प्रति प्रेम का एहसास जागा था |

एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा
एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा 
अकसर दुलारी के घर आकर टुन्नू ख़ामोश रहता था | कभी अपने प्रेम को दुलारी के सामने प्रकट नहीं करता था | उस रोज होली के एक दिन पहले टुन्नू दुलारी के घर आया था | उसने खादी आश्रम की बुनी साड़ी दुलारी को दी | दुलारी ने उसे बहुत डाँटा और साड़ी फेंक दी | टुन्नू अपमान महसूस किया और रोने लगा | दुलारी के द्वारा फेंकी साड़ी पर टुन्नू के आँसू टपकने लगे थे | उसने अपना प्रेम पहली बार दुलारी से साझा किया था | टुन्नू दुलारी से स्पष्ट शब्दों कह दिया कि उसका मन रूप और उम्र की सीमा में नहीं बंधा है | टुन्नू के जाने के पश्चात् दुलारी ने साड़ी पर पड़े आँसुओं के निशान को चूम लिया था | दुलारी छह महीने पहले ही टुन्नू से मिली थी | उसने अपनी ढलती उम्र में प्रेम को पहली बार इतने नजदीक से महसूस किया था | दुलारी टुन्नू की लाई साड़ी को अपने कपड़ों में सबसे नीचे रख लिया | टुन्नू और अपने प्रेम को आत्मा का प्रेम समझते हुए दुलारी सोच में डूबी थी | 

टुन्नू के चले जाने के बाद दुलारी ने खाना बनाना शुरू किया ही था कि मोहल्ले का फेंकू नाम का एक व्यक्ति आ गया, वह दुलारी पर अपना अधिकार जताता था | उसने विदेशी साड़ियों का एक बंडल दुलारी को देना चाहा | उस समय दुलारी को उसका आना बहुत बुरा लगा था | नीचे विदेशी कपड़ों को जलाने के लिए वस्त्रों को इकट्ठा करते जुलूस गुज़रने की आवाज़ दुलारी को सुनाई दी | "जननि तेरी जय, तेरी जय हो..." की आवाज उस जुलूस से आ रही थी, जिसे सुनकर दुलारी ने फेंकू का लाया विदेशी साड़ियों का बंडल नीचे फेंक दिया | दूसरी बार जब फिर दुलारी ने कुछ और साड़ियों को फेंकना चाहा, तो फेंकू ने उसका हाथ पकड़ लिया और खिड़की बंद कर दी थी |

यह दृश्य नीचे से सरकारी गवाह बने पुलिस के एक आदमी अली सगीर ने देख लिया था | जब दुलारी ने फेंकू को झाड़ू मार-मार कर घर से बाहर निकाल दिया तो जुलूस में शामिल टुन्नू के विरुद्ध अली सगीर ने फेंकू का साथ दिया था | जुलूस के टाउन हाॅल पहुँचने पर पुलिस ने टुन्नू को गालियाँ दी और विरोध करने पर पसली में जूतों की ठोकर मार-मारकर जान ले ली थी और अंग्रेज सैनिकों ने अस्पताल का बहाना करके मरे टुन्नू को वरुणा नदी में फेंक दिया था |

फेंकू को घर से बाहर निकालकर दुलारी पड़ोसिनों से यह कह ही रही थी कि उसका टुन्नू से कोई संबंध नहीं है, इतने में झिंगुर नाम के एक पड़ोसी बच्चे ने टुन्नू के मारे जाने की ख़बर दी | दुःख, क्रोध और आश्चर्य से भरी दुलारी रोने लगी थी | उसने टुन्नू की दी साड़ी पहनी और उसके मारे जाने का स्थान झिंगुर से पूछकर वहाँ जाने को तैयार ही थी कि उसी समय फेंकू थाने के मुंशी के साथ आया | उसने दुलारी को थाने में होने वाली अमन सभा में गाने के लिए कहा | अगले दिन शाम को टाउन हाॅल में अमन सभा ने एक समारोह किया | उसमें जनता का कोई प्रतिनिधि नहीं था | दुलारी को उसमें बुलाया गया | उसे मौसम के अनुसार गीत गाने के लिए मजबूर भी किया गया था | अपने प्रेमी के मारे जाने की वजह से दुलारी की आवाज़ दर्दभरी थी | 

एक उदास मुस्कान के साथ उसके गाने के बोल थे --- 

"एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा, कासों मैं पूछूँ ?"
"सास से पूछूँ, ननदिया से पूछूँ, देवरा से पूछत लजानी हो रामा ?"

गीत गाते-गाते दुलारी की आँखों से आँसू बह निकले थे, मानो टुन्नू की लाश को वरुणा नदी में फेंकने से पानी की जो बूंदें छिटकी थीं, वे बूँदे अब दुलारी की आँखों से आँसू बनकर बह निकले हैं | 
गीत गाते हुए दुलारी ने लोगों को इस बात का अहसास और अंदाज़ करा दिया था कि टुन्नू के मारे जाने के पीछे अली सगीर का हाथ है | टुन्नू के मारे जाने की आँखों देखी ख़बर लाने और लिखने वाले रिपोर्टर को एक अख़बार के प्रधान संवाददाता ने अयोग्य कहा | मुख्य संपादक ने भी पूरी ख़बर सुनकर उसे छपने लायक नहीं समझा | वह जानता था कि ख़बरों की तह तक जाने से अख़बार नहीं चलते | उससे विरोध के सुर को बढ़ावा मिलता है और कार्यालय के बंद होने की सम्भावनाएँ बढ़ जाया करती हैं...|| 


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