Saturday, December 12, 2020

Megh Aaye मेघ आए MCQ Questions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 15

Megh Aaye मेघ आए MCQ Questions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 15 

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मेघ आए कविता

मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
आगे-आगे नाचती – गाती बयार चली
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली
पाहुन ज्यों आये हों गाँव में शहर के।

व्याख्या - कवि कहते है की आकाश में बादल घिर आये है . बादलों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई मेहमान बन -संवर कर ,सज धजकर ग्राम आताहै .शहर से आने वालेमेहमान को देखकर लोगों में प्रसन्नता की लहर दौड़ जाती है .बादल भी दामाद की तरह एक वर्ष बाद आये है .बादलों को देखकर लोग प्रसन्न हो जाते है .बादलों सेपहले उनके आने की सूचना देने वाली पुरवाई चल पड़ती हैजो नाचती गाती है .उस नाच गाने को देखने के लिए गलियों में खिड़की -दरवाजे खुलने लगते है . लोग मेघ रूप दामाद को देखना चाहता है . मेघ के आने से हवा अत्यंत प्रसन्न हो गयी है और प्रकृति में उत्साह का वातावरण है .

२. पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
बांकीचितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरके।
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।

व्याख्या - मेघरूपी मेहमान बादल के रूप में आते है . मेहमान के आने पर जिस प्रकार लोग झुकर प्रणाम करते है और फिर गर्दन उच्कार ,झंकार देखते है उसी तरह बादल के आने पर पेड़ हवा के वेग से झुके और डोलने लगे .ऐसा लगता है जैसे अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए कुछ ग्रामीण अतिथि को देख रहे है . धीरे -धीरे हवा आंधी में बादल गयी और धुल उड़ने लगी .धुल का गुबार देखकर ऐसा लगता है ,जैसे कोई ग्राम की युवती किसी अनजाने व्यक्ति को देखकर अपना लहगा समेटकर भागी चली जा रही है .बादलों का घिरना नदी के लिए भी अच्छा समाचार है ,वह भी रुक कर देखने लगी है . कहने का अर्थ या है की जिस पर शहर के मेहमान गौण में सज -धज कर संवर कर आते है ,ठीक उसी प्रकार मेघ भी मानों बन थान कर अतिथि के रूप आये हो .

३. बूढ़े़ पीपल ने आगे बढ़ कर जुहार की
‘बरस बाद सुधि लीन्ही’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।

व्याख्या - कवि कहते है कि जिस प्रकार मेहमान के आने पर घर के बड़े -बुगुर्ग उनका स्वागत करते है ,उनका अभिवादन करते है तथा घर की बहुवें किवाड़ या दरवाजे की ओट में से उनसे स्नेह भरे स्किय्कत करती है ,उसी प्रकार मेघों के मेहमान के रूप में आने पर बूढ़े पीपल ने अभिवादन किया .हवा के झोंकों से लता लहरा रही है ,मानों मेघों से शिकायत कर रही हो कि आप बहुत दिनों के बाद आये हो . पोखर -तालाब हर्ष से झूम रहे है ,मानों मेहमान के स्वागत के लिए परात भर के पानी लाया हो .मेघों के आने पर प्रकृति में हर्ष एवं आनंद है .

४. क्षितिज अटारी गदरायी दामिनि दमकी
‘क्षमा करो गाँठ खुल गयी अब भरम की’
बाँध टूटा झर-झर मिलन अश्रु ढरके
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।

व्याख्या - आकाश में बादल छा गए है . क्षितिज पर गहरे बादलों में बिजली चमकी और वर्षा प्रारंभ हो गयी .झर -झर वर्षा होने लगी .इस भाव को कवि ने मेहमान और उसकी पत्नी के मिलन के रूप में चित्रित किया है . पति -पत्नी जब मिले तो दोनों के मन की गाँठ खुल गयी . सारी भेद दुभिदा दूर हो गयी .अब वियोग का बाँध टूट गया . इसी प्रकार मेहमान के आने के बाद की खुसी और मिलन के आँसू के रूप में वर्षा का वर्णन किया गया है .


मेघ आए कविता का सारांश / मूल भाव
प्रस्तुत कविता मेघ आये में कवि सर्व्वेश्वर दयाल सक्सेना जी ने मेघों का मानवीकरण द्वारा प्रकृति के विविध रूपों का बहुत सुन्दर चित्रण किया है . ग्रामीण संस्कृति में दामाद के आने पर जो उल्लास का वातावरण बनता है ,उसी उल्लास को मेघरूपी मेहमान के रूप दिखाया गयी है . बरसात के दिनों में बादल उमड़ -उमड़ कर आसमान में छा जाते है .धुल उडती है .बादल नीचे क्षितिज पर झुक आते है .बिजली चमकती और बादल बरसने लगते है . कवि ने बादलों को मेहमान के रूप में दिखाया है . यहाँ कविता में मेघों के साथ -साथ ,अमराइयों ,लताओं ,नदियों एवं पेड़ों का भी मानवीकरण किया गया है 

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