Saharsh Swikara Hai MCQ सहर्ष स्वीकारा है MCQ Class 12 Hindi Aroh Chapter 5
Attempt the quiz here :
https://quizizz.com/join/quiz/5fb28806a51de9001b92a4cc/start
https://quizizz.com/join/quiz/5fb28e70838881001b3219ed/start
https://quizizz.com/join/quiz/5fb28fbac51990001bafb768/start
सहर्ष स्वीकारा है
गजानन माधव मुक्तिबोध
सार
- कविता में जीवन के सुख– दुख‚ संघर्ष– अवसाद‚ उठा– पटक को समान रूप से स्वीकार करने की बात कही गई है।
- स्नेह की प्रगाढ़ता अपनी चरम सीमा पर पहुँच कर वियोग की कल्पना मात्र से त्रस्त हो उठती है।
- प्रेमालंबन अर्थात प्रियजन पर यह भावपूर्ण निर्भरता‚ कवि के मन में विस्मृति की चाह उत्पन्न करती है।वह अपने प्रिय को पूर्णतया भूल जाना चाहता है |
- वस्तुतः विस्मृति की चाह भी स्मृति का ही रूप है। यह विस्मृति भी स्मृतियों के धुंधलके से अछूती नहीं है।प्रिय की याद किसी न किसी रूप में बनी ही रहती है|
- परंतु कवि दोनों ही परिस्थितियों को उस परम् सत्ता की परछाईं मानता है।इस परिस्थिति को खुशी –खुशी स्वीकार करता है |दुःख-सुख ,संघर्ष –अवसाद,उठा –पटक, मिलन-बिछोह को समान भाव से स्वीकार करता है|प्रिय के सामने न होने पर भी उसके आस-पास होने का अहसास बना रहता है|
- भावना की स्मृति विचार बनकर विश्व की गुत्थियां सुलझाने में मदद करती है| स्नेह में थोड़ी निस्संगता भी जरूरी है |अति किसी चीज की अच्छी नहीं |’वह’ यहाँ कोई भी हो सकता है दिवंगत माँ प्रिय या अन्य |कबीर के राम की तरह ,वर्ड्सवर्थ की मातृमना प्रकृति की तरह यह प्रेम सर्वव्यापी होना चाहता है |
“मुस्काता चाँद ज्यों धरती पर रात भर
मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है!”
- छायावाद के प्रवर्तक प्रसाद की लेखनी से यह स्वर इस प्रकार ध्वनित हुआ है –
“दुख की पिछली रजनी बीच विकसता सुख का नवल प्रभात।
एक परदा यह झीना नील छिपाए है जिसमें सुख गात।“
यह कविता ‘नई कविता’ में व्यक्त रागात्मकता को आध्यात्मिकता के स्तर पर प्रस्तुत करती है।
अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्न
“ज़िंदगी में जो कुछ भी है
सहर्ष स्वीकारा है ;
इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है
वह तुम्हें प्यारा है|
गरबीली गरीबी यह, ये गंभीर अनुभव सबयह वैभव विचार सब
दृढ़ता यह,भीतर की सरिता यह अभिनव सब
मौलिक है, मौलिक है
इसलिए कि पल-पल में
जो कुछ भी जाग्रत है अपलक है-
संवेदन तुम्हारा है!”
प्रश्न १:- कवि और कविता का नाम लिखिए|
उत्तर:-कवि- गजानन माधव मुक्तिबोध
कविता–सहर्ष स्वीकारा है
प्रश्न२:- गरबीली गरीबी,भीतर की सरिता आदि प्रयोगों का अर्थ स्पष्ट कीजिए |
उत्तर :-गरबीली गरीबी– निर्धनता का स्वाभिमानी रूप ।कवि के विचारों की मौलिकता ,अनुभवों की गहराई ,दृढ़ता ,हृदय का प्रेम उसके गर्व करने का कारण है |
प्रश्न३ :- कवि अपने प्रिय को किस बात का श्रेय दे रहा है ?
उत्तर:- निजी जीवन के प्रेम का संबंल कवि को विश्व व्यापी प्रेम से जुड़ने की प्रेरणा देता है |अत: कवि इसका श्रेय अपने प्रिय को देता है |
Watch awesome videos
No comments:
Post a Comment