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- 30 secondsQ. रंस-बसंत जीवन के किन दिनों का प्रतीक है?answer choices
- Question 230 secondsQ. पुरानी मीठी यादों के साथ लगी सुहानी सुगंध कवि के तन-मन को क्या बना देती है?answer choices
- Question 330 secondsQ. उचित अवसर पर न मिलकर बाद में मिलने वाली ख़ुशी कैसी प्रतीत होती है?answer choices
- Question 430 secondsQ. हर सुख में क्या छिपा रहता है?answer choices
- Question 530 secondsQ. शरद रात किसका प्रतीक है?answer choices
- Question 630 secondsQ. कविता में मृगतृष्णा किसे कहा गया है?answer choices
- Question 730 secondsQ. चाँदनी रात को देखकर कवि को किसकी याद आती है?answer choices
- Question 830 secondsQ. जब मनुष्य का मन दुविधाओं से भर जाता है तो क्या होता है?answer choices
- Question 930 secondsQ. वसंत के समय फूल न खिलने का क्या आशय है?answer choices
- Question 1030 secondsQ. कवि जीवन में क्या पाने के लिए दौड़ता रहा?answer choices
- Question 1130 secondsQ. किसे याद करके कवि के मन में मनभावन चित्र उभरते हैं?answer choices
- Question 1230 secondsQ. कविता में छाया का अर्थ क्या है?answer choices
- Question 1330 secondsQ. पुरानी मीठी यादों में जीने का परिणाम कैसा होता है?answer choices
- Question 1430 secondsQ. कवि ने किन यादों में जीने से मना किया है?answer choices
- Question 1530 secondsQ. गिरिजाकुमार माथुर किस धारा के कवि हैं?answer choices
- Question 1630 secondsQ. 'कुंतल' शब्द का क्या अर्थ है? *answer choices
- Question 1730 secondsQ. गिरिजाकुमार माथुर का जन्म कहां हुआ था?answer choices
- Question 1830 secondsQ. कवि पुरानी स्मृतियों को याद ना करने को कहता है क्योंकि?answer choices
- Question 1930 secondsQ. यामिनी' शब्द का क्या अर्थ है?answer choices
- Question 2030 secondsQ. छाया' किसका प्रतीक है?answer choices
- Question 2130 secondsQ. हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है' पंक्ति से कवि क्या कहना चाहता है?answer choices
- Question 2230 secondsQ. सरमाया' शब्द का क्या अर्थ है?answer choices
- Question 2330 secondsQ. गिरिजाकुमार माथुर का जन्म कब हुआ था?answer choices
- Question 2430 secondsQ. छाया मत छूना' कविता के लेखक कौन हैanswer choices
कक्षा – दसवीं
विषय- हिंदी
पाठ- छाया मत छूना (गिरिजा कुमार माथुर)
समयावधि – नवम्बर 2016
पाठ का संक्षिप्त परिचय –
प्रस्तुत कविता में कवि ने मनुष्य को बीते लम्हों की याद ना कर भविष्य की ओर ध्यान देने को कहा है। कवि कहते हैं कि अपने अतीत को याद कर किसी मनुष्य का भला नही होता बल्कि मन और दुखी हो जाता है। हमारे जीवन में अनेक रंग-बिरंगी यादों की सुहावनी बेला आती है, जिनके सहारे व्यक्ति अपना सारा जीवन बिता देना चाहता है परन्तु कवि कहते हैं कि अब वे क्षण बीत चुके हैं। भले ही उनकी खुशबू चारों तरफ फैली हुई है परन्तु अब वह चांदनी रात समाप्त हो चुकी है, अब प्रिय की सुगंध ही मात्र शेष रह गई है। प्रिय के साथ बिताए वह सुन्दर क्षण अब मात्र यादों में ही रह गए हैं। वे कहते हैं कि अब उन्हें याद करने से हमें सिर्फ दुःख ही मिलेगा, वे पल वापस नही आएंगे।
कवि कहते हैं मनुष्य सारी जिंदगी यश,धन-दौलत, मान, ऐश्वर्य के पीछे भागते हुए बिता देता है जो की केवल एक भ्रम है। कवि कहते हैं ये ठीक उसी प्रकार है जैसे रेगिस्तान में पशु पानी की तलाश में भटकता रहता है परन्तु दूर कहीं सूर्य की किरणों द्वारा उत्पन्न हुए जल के आभास से ठगा जाता है। वे कहते हैं कि हम जितना मान-सम्मान, सम्पन्ति की चाह करते हैं उतना ही हमारी चाहत इसके प्रति बढ़ती जाती है, इसका कोई अंत नही है। जिस तरह हर चांदनी रात के बाद अमावस्या आती है उसी तरह सुख-दुःख का पहिया सदा निरंतर चलता रहता है। इसलिए कवि हमें धरातल पर जीने की सलाह देते हैं, सच्चाई को स्वीकारने में ही हमारी भलाई है। वर्ना अतीत के सुखों की यादों में हम वर्त्मान के दुखों को बढ़ा लेंगे।
कवि कहते हैं कि मनुष्य सदा दुविधा में फंसा रहता है जसके कारण उसे कोई रास्ता नही सूझता और वह अधिक निराश हो जाता है। जीवन में उसे जो कुछ उसे मिलता है उससे उसकी शारीरिक सुख तो मिल जाता है परन्तु मन संतुष्ट नही हो पाता। जिस प्रकार शरद पूर्णिमा की रात को चाँद न निकले तो शरद पूर्णिमा का सारा सौंदर्य और महत्व समाप्त हो जाता है उसी प्रकार अगर मनुष्य को जीवन में सुख-सम्पदा नहीं मिली तो इसका दुःख उसे जीवन भर सताता है। जैसे वसंत ऋतू में फूल न खिले तो वह निश्चित ही मतवाली और सुखदायी ना होगी वैसे ही मनुष्य को अगर अतीत में जो कुछ उसे मिलना चाहिए था वह न मिले तो वह उदास हो जाता है इसलिए उन्हें भूलना ही बेहतर है।
कवि कहते हैं मनुष्य सारी जिंदगी यश,धन-दौलत, मान, ऐश्वर्य के पीछे भागते हुए बिता देता है जो की केवल एक भ्रम है। कवि कहते हैं ये ठीक उसी प्रकार है जैसे रेगिस्तान में पशु पानी की तलाश में भटकता रहता है परन्तु दूर कहीं सूर्य की किरणों द्वारा उत्पन्न हुए जल के आभास से ठगा जाता है। वे कहते हैं कि हम जितना मान-सम्मान, सम्पन्ति की चाह करते हैं उतना ही हमारी चाहत इसके प्रति बढ़ती जाती है, इसका कोई अंत नही है। जिस तरह हर चांदनी रात के बाद अमावस्या आती है उसी तरह सुख-दुःख का पहिया सदा निरंतर चलता रहता है। इसलिए कवि हमें धरातल पर जीने की सलाह देते हैं, सच्चाई को स्वीकारने में ही हमारी भलाई है। वर्ना अतीत के सुखों की यादों में हम वर्त्मान के दुखों को बढ़ा लेंगे।
कवि कहते हैं कि मनुष्य सदा दुविधा में फंसा रहता है जसके कारण उसे कोई रास्ता नही सूझता और वह अधिक निराश हो जाता है। जीवन में उसे जो कुछ उसे मिलता है उससे उसकी शारीरिक सुख तो मिल जाता है परन्तु मन संतुष्ट नही हो पाता। जिस प्रकार शरद पूर्णिमा की रात को चाँद न निकले तो शरद पूर्णिमा का सारा सौंदर्य और महत्व समाप्त हो जाता है उसी प्रकार अगर मनुष्य को जीवन में सुख-सम्पदा नहीं मिली तो इसका दुःख उसे जीवन भर सताता है। जैसे वसंत ऋतू में फूल न खिले तो वह निश्चित ही मतवाली और सुखदायी ना होगी वैसे ही मनुष्य को अगर अतीत में जो कुछ उसे मिलना चाहिए था वह न मिले तो वह उदास हो जाता है इसलिए उन्हें भूलना ही बेहतर है।
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